Know Foreign Travel Sign In Horoscope By Astrology & Horoscope
If you want to know about foreign tour chances by astrology and your horoscope so here showing the best way to find it by horoscope reading by self. By reading the horoscope you can know chances, their sign, problem, remedies and do solution to get chance to live or settled in foreign countries. By these astrology reading and remedies you can solve your problem and get out from the problem if having there in life. By below sign and planet or their conjunction you can understand the sign of foreign travel and if have any problem so by remedies you can generate sign of foreign travel also.
विदेश यात्रा के योग के संकेत
विदेश यात्रा के योग के लिए चतुर्थ स्थान का व्यय स्थान जो तृतीय स्थान होता है, उस पर गौर करना पड़ता है। इसके साथ-साथ लंबे प्रवास के लिए नवम स्थान तथा नवमेश का भी विचार करना होता है। परदेस जाना यानी नए माहौल में जाना। इसलिए उसके व्यय स्थान का विचार करना भी आवश्यक होता है। जन्मांग का व्यय स्थान विश्व प्रवास की ओर भी संकेत करता है।
विदेश यात्रा का योग है या नहीं, इसके लिए तृतीय स्थान, नवम स्थान और व्यय स्थान के कार्येश ग्रहों को जानना आवश्यक होता है। ये कार्येश ग्रह यदि एक दूजे के लिए अनुकूल हों, उनमें युति, प्रतियुति या नवदृष्टि योग हो तो विदेश यात्रा का योग होता है। अर्थात उन कार्येश ग्रहों की महादशा, अंतरदशा या विदशा चल रही हो तो जातक का प्रत्यक्ष प्रवास संभव होता है। अन्यथा नहीं। इसके साथ-साथ लंबे प्रवास के लिए नवम स्थान तथा नवमेश का भी विचार करना होता है। परदेस जाना यानी नए माहौल में जाना।
इसलिए इस बारे में सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है व्यय स्थान। विदेश यात्रा का निश्चित योग कब आएगा, इसलिए उपरोक्त तीनों भावों के कार्येश ग्रहों की महादशा-अंतरदशा-विदशा पर गौर करने पर सही समय का पता किया जा सकता है।
विदेश में कितने समय के लिए वास्तव्य होगा, यह जानने के लिए व्यय स्थान स्थित राशि का विचार करना आवश्यक होता है। व्यय स्थान में यदि चर राशि हो तो विदेश में थोड़े समय का ही प्रवास होता है। व्यय स्थान में अगर स्थिर राशि हो तो कुछ सालों तक विदेश में रहा जा सकता है। यदि द्विस्वभाव राशि हो तो परदेस आना-जाना होता रहता है। इसके साथ-साथ व्यय स्थान से संबंधित कौन-से ग्रह और राशि हैं, इनका विचार करने पर किस देश में जाने का योग बनता है, यह भी जाना जा सकता है।
सर्वसाधारण तौर पर यदि शुक्र का संबंध हो तो अमेरिका जैसे नई विचार प्रणाली वाले देश को जाने का योग बनता है। उसी तरह अगर शनि का संबंध हो तो इंग्लैंड जैसे पुराने विचारों वाले देश को जाना संभव होता है। अगर राहु-केतु के साथ संबंध हो तो अरब देश की ओर संकेत किया जा सकता है।
तृतीय स्थान से नजदीक का प्रवास, नवम स्थान से दूर का प्रवास और व्यय स्थान की सहायता से वहाँ निवास कितने समय के लिए होगा यह जाना जा सकता है।
1. नवम स्थान का स्वामी चर राशि में तथा चर नवमांश में बलवान होना आवश्यक है।
2. नवम तथा व्यय स्थान में अन्योन्य योग होता है।
3. तृतीय स्थान, भाग्य स्थान या व्यय स्थान के ग्रह की दशा चल रही हो।
4. तृतीय स्थान, भाग्य स्थान और व्यय स्थान का स्वामी चाहे कोई भी ग्रह हो वह यदि उपरोक्त स्थानों के स्वामियों के नक्षत्र में हो तो विदेश यात्रा होती है।
यदि तृतीय स्थान का स्वामी भाग्य में, भाग्येश व्यय में और व्ययेश भाग्य में हो, संक्षेप में कहना हो तो तृतियेश, भाग्येश और व्ययेश इनका एक-दूजे के साथ संबंध हो तो विदेश यात्रा निश्चित होती है।
विदेश यात्रा का योग है या नहीं, इसके लिए तृतीय स्थान, नवम स्थान और व्यय स्थान के कार्येश ग्रहों को जानना आवश्यक होता है। ये कार्येश ग्रह यदि एक दूजे के लिए अनुकूल हों, उनमें युति, प्रतियुति या नवदृष्टि योग हो तो विदेश यात्रा का योग होता है। अर्थात उन कार्येश ग्रहों की महादशा, अंतरदशा या विदशा चल रही हो तो जातक का प्रत्यक्ष प्रवास संभव होता है। अन्यथा नहीं। इसके साथ-साथ लंबे प्रवास के लिए नवम स्थान तथा नवमेश का भी विचार करना होता है। परदेस जाना यानी नए माहौल में जाना।
इसलिए इस बारे में सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है व्यय स्थान। विदेश यात्रा का निश्चित योग कब आएगा, इसलिए उपरोक्त तीनों भावों के कार्येश ग्रहों की महादशा-अंतरदशा-विदशा पर गौर करने पर सही समय का पता किया जा सकता है।
विदेश में कितने समय के लिए वास्तव्य होगा, यह जानने के लिए व्यय स्थान स्थित राशि का विचार करना आवश्यक होता है। व्यय स्थान में यदि चर राशि हो तो विदेश में थोड़े समय का ही प्रवास होता है। व्यय स्थान में अगर स्थिर राशि हो तो कुछ सालों तक विदेश में रहा जा सकता है। यदि द्विस्वभाव राशि हो तो परदेस आना-जाना होता रहता है। इसके साथ-साथ व्यय स्थान से संबंधित कौन-से ग्रह और राशि हैं, इनका विचार करने पर किस देश में जाने का योग बनता है, यह भी जाना जा सकता है।
सर्वसाधारण तौर पर यदि शुक्र का संबंध हो तो अमेरिका जैसे नई विचार प्रणाली वाले देश को जाने का योग बनता है। उसी तरह अगर शनि का संबंध हो तो इंग्लैंड जैसे पुराने विचारों वाले देश को जाना संभव होता है। अगर राहु-केतु के साथ संबंध हो तो अरब देश की ओर संकेत किया जा सकता है।
तृतीय स्थान से नजदीक का प्रवास, नवम स्थान से दूर का प्रवास और व्यय स्थान की सहायता से वहाँ निवास कितने समय के लिए होगा यह जाना जा सकता है।
1. नवम स्थान का स्वामी चर राशि में तथा चर नवमांश में बलवान होना आवश्यक है।
2. नवम तथा व्यय स्थान में अन्योन्य योग होता है।
3. तृतीय स्थान, भाग्य स्थान या व्यय स्थान के ग्रह की दशा चल रही हो।
4. तृतीय स्थान, भाग्य स्थान और व्यय स्थान का स्वामी चाहे कोई भी ग्रह हो वह यदि उपरोक्त स्थानों के स्वामियों के नक्षत्र में हो तो विदेश यात्रा होती है।
यदि तृतीय स्थान का स्वामी भाग्य में, भाग्येश व्यय में और व्ययेश भाग्य में हो, संक्षेप में कहना हो तो तृतियेश, भाग्येश और व्ययेश इनका एक-दूजे के साथ संबंध हो तो विदेश यात्रा निश्चित होती है।