सोने-चांदी से जुड़े हैं ये शकुन-अपशकुन, अब भी नहीं जानेंगे तो होगा भारी नुकसान
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो सोना गुरु ग्रह का कारक माना गया है। इसलिए सोने के गुम होने या मिलने पर गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव का सामना करना पड़ता है। गुरु ग्रह हमें जीवन में धन एवं सुख दिलाता है और इस ग्रह का कमजोर होना कई सारी दिक्कतें पैदा कर सकता है। शकुन शास्त्र में दर्ज तथ्यों के अनुसार यदि किसी के कान का गहना यानी ईयर रिंग गुम हो जाए तो यह एक अपशकुन कहलाता है। ऐसी घटना के कारण भविष्य में कोई बुरी खबर सुनने को मिल सकती है। इसके अलावा नाक की नथ या लोंग का खो जाना भी अशुभ होता है, इसके कारण आपको बदनामी या अपमान का सामना करना पड़ सकता है। सिर का गहना जैसे टीका या शीष फूल खो जाए तो यह भी अच्छा नहीं माना जाता है। शकुन शास्त्र के अनुसार इस प्रकार का गहना यदि खो जाए या टूट भी जाए तो यह भविष्य में आने वाले किसी बड़े संकट का सूचक होता है जो आपको अत्यंत चिंता दे सकता है। अगर गले का हार खो जाए तो ये ऐश्वर्य में कमी आने का संकेत हो सकता है। यदि कंगन खो जाए तो मान-सम्मान में कमी आती है। बाजू बंद, जो कि आजकल बेहद कम देखने को मिलता है, किंतु कुछ जगहों पर यह परंपरा के रूप में इस्तेमाल जरूर किया जाता है। अगर ये खो जाए तो आपको पैसों से जुड़ी दिक्कतें आ सकती हैं। अब बात करते हैं अंगूठी की, शायद ये एक ऐसा गहना है जो अधिकतर लोग पहनते जरूर हैं। शकुन शास्त्र के अनुसार सोने की या फिर चांदी की अंगूठी अगर खो जाए तो ऐसी घटना भविष्य में आने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की ओर इशारा करती है। अंगूठी या फिर पांव की बिछिया, दोनों का ही खो जाना शुभ नहीं होता। लेकिन पांव की पायल का खोना कैसा संकेत देता है? शकुन शास्त्र के अनुसार दाएं पैर की पायल गुम हो जाने पर सामाजिक प्रतिष्ठा को हानि हो सकती है। दूसरी ओर बाएं पैर की पायल का खो जाना यात्रा में दुर्घटना की ओर संकेत करता है। आखिर में है कमर बंद, इसका गुम हो जाना किसी भारी विपदा की और संकेत करता है।
सोने के आभूषण धारण करने के पीछे छिपा है एक रोमांचक तथ्य
गहनों और महिलाओं का साथ बहुत पुराना है। ये आज की बात नहीं बल्कि इस सिलसिले की शुरुआत ना जाने कब हुई होगी। वैसे आजकल हीरे को महिलाओं का बेस्ट फ्रेंड कहा जाता है, लेकिन सोने के गहने महिलाओं के ऑलटाइम फेवरेट माने जाते हैं। महिलाएं सोने की अंगूठी से लेकर बालियां, चूड़ी, कंगन और हार...सब कुछ धारण करती हैं। निश्चित तौर पर ये भारत की परंपरा के साथ जुड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पारंपरिक तौर पर महिलाओं को सोने के गहने पहनाए जाते हैं। शादी-विवाह या फिर अन्य किसी शुभ अवसर पर भी सोने के गहने ही उपहार रूप में दिए जाते हैं। कुछ अपने श्रृंगार के तौर पर इन्हें धारण करती हैं तो कुछ अपनी परंपरा मानकर गहने पहनती हैं। आजकल भले ही महिलाएं सुरक्षा और फैशन के लिए आर्टिफिशियल ज्वेलरी पहन लें लेकिन वे महिलाएं जो आज भी अपनी परंपरा का पालन करती हैं वे कभी आर्टिफिशियल ज्वेलरी धारण नहीं करतीं। जैसा कि हमने हमेशा आपको बताया है कि प्राचीन समय में ही जन्मीं परंपराओं के पीछे हमेशा ही कोई वैज्ञानिक कारण विद्यमान रहा है। ऐसा ही एक बड़ा कारण महिलाओं द्वारा धारण किए जाने वाले सोने के गहनों से भी जुड़ा है। प्राचीन काल में स्त्री का आभूषण पहनना अनिवार्य था, ये आभूषण चांदी या सोने, किसी के भी होते थे। इन्हें धारण करने के पीछे सबसे बड़ा कारण होता था महिलाओं का शारीरिक रूप से कमजोर होना। मेडिकल साइंस भी ये मानती है कि जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ने लगती है वैसे-वैसे उनकी हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती हैं। हाथों में सोने और चांदी के आभूषण उनकी हड्डियों को मजबूत करते थे और लगातार घर्षण से इन धातुओं में मौजूद गुण भी महिलाओं को मिलते थे। ऐसा होने से महिलाओं को रोगों से मुक्ति मिलती थी और उनका शरीर भी कमजोरी से बचता था। इन आभूषणों की वजह से ही महिलाएं उम्र बढ़ने के बावजूद स्वस्थ रहती थीं, साथ ही बुरे समय में यही आभूषण उनकी गृहस्थी के काम भी आते थे। वैसे आजकल महंगाई बढ़ने की वजह से भले ही स्त्रियां मनचाहे तरीके से सोना पहन तो नहीं सकतीं, लेकिन वे इसे एक इंवेस्टमेंट के तौर पर रखती हैं ताकि बुरे समय में यह उनके काम आ सके।